Sunday, November 15, 2009

१०१ साल की उम्र में भी सपना है जवान भारत का


बाढ़। ये जज्बा देशप्रेम का है। इसीलिए १०१ साल की उम्र में भी बूढी आँखों में जवान भारत का सपना पलता है। १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन में बाढ़ अनुमंडल में क्रांति की मशाल थामनेवाले वयोब्रिद्ध स्वतंत्रता सेनानी जगदीश नारायण सिंह १०१ वर्ष के हो चुके है। उम्र के इस पडाव पर भी उनके अन्दर देशभक्ति और मादरे वतन पर मर मिटने के हौसलों में कोई कमी नहीआ सकी है। बाढ़ के कोर्ट एरिया निवासी जगदीश बाबु फिरंगी शासन की यातनाओ और तिरंगा लहराने की खुशिया आज भी अपनी आँखों में कैद कर रखे है.१९३० में बी पार्ट १ की पढ़ाई के दौरान गाँधी जी के आह्वान पर जगदीश बाबु जंगे आजादी में कूद गए। इनके पिता गजाधर सिंह पहले से क्रांति की ज्योति जलाये हुए थे। क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंग्रेजो से खूब लड़े । यातनाए सही और जेल गए। १९३० में गोरो ने इन्हे पकड़कर खूब यातनाए दी .७दिनो तक कमरे में बंद कर पिता.फ़िर भी सरफरोशी की तमन्ना दिल में मचलती रही। १९४२ की लडाई छिड़ते ही वे अपने पिता, व केशो बाबु,सिंहेश्वर बाबु और अन्य सेनानियों के साथ मिलकर मोकामा, हथिदह में गोदाम को लुट लिया। रेल पटरी उखड दी। जमकर संग्राम किया और फिरंगियों को अपना लोहा मनवा दिया। कुछ दिनों बाद वे पकड़ लीये गए। अमानवीय यातना देने के बाद गोरो ने उन्हें ५ साल की सजा सुनाई । श्रीकृष्ण बाबु और अनुग्रह बाबु के साथ वे हजारीबाग जेल में कैद किए गए। आजादी के बाद वे मोकामा के विधायक बने । बाढ़ कोर्ट के सीनियर वकील भी रहे। आज उनका शरीर साथ छोड़ने लगा है। १०१ साल की उम्र होने के कारन । लेकिन देश और आजादी का जिक्र छिड़ते ही, जगदीश बाबु एकदम से नौजवान बन जाते है। डूबती आँखों में चमक उठ जाती है। और लडखडाती जुबान देशभक्ति के गीत गा उठते है। बातचीत में जगदीश बाबु देश की राजनीती को लेकर अपना दर्द भी प्रकट करते है। उन्हें मलाल हैकी देश में दूरदर्शी नेताओ की कमी है। देश क लिए सोंच्नेवाले बहुत कम है। लेकिन उनका विश्वास भी है की नयी और युवा पीढी स्वतंत्रता सेनानियों की भावनाओ और देशभक्ति -देशहित की बातो को ठीक से समझेगी । तब बदलाव की एक और क्रांति होगी। जो देश से जातिवाद, रूधिवाद और शोषण को उखाड़ फेंकेगी।

2 comments:

  1. I must appreciate your effort for bringing in to knowledge about Barh’s great personality. Please keep it up. All the very best!

    Manoj Kr. Nirala

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  2. I must appreciate your effort for bringing in to knowledge about barh and mokama (hatidah).please go on. congratulation for effort's. jay ho.

    Amar jyoti

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