Saturday, December 12, 2009

मीडिया ने लोगो को जोड़ दिया

मीडिया ने लोगो को जोड़ दिया
हम अपने देश की मीडिया खासतौर पर इलेक्ट्रोनिक मीडिया को लेकर कई तरह की बातें करते रहते हैं. बात कुछ हद तक सुच भी रही है. हाल के दिनों में कई ऐसे प्रकरण हुए जब मीडिया की भूमिका को लेकर सचमुच हम सुब सोंचने को मजबूर हो गए की आखिर हमरे देश की पत्रकारिता को हो क्या गया है. लेकिन मुंबई पर हुए हमले की पहली बरसी यानी २६/११ को लेकर हमारे देश की मीडिया जो जूनून, दुम्खुम और देशभक्ति की भावनाएं दिखाई .उससे हम देशवासियों को गर्व महसूस हो रहा है. २६/११ की याद में विशेषकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने अपने कवरेज के दायरे को इतना बढ़ा दिया की कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारा देश शहीदों की याद में उसी तरह नतमस्तक हो रहा था. जैसे हम अपनी आजादी की वर्षगांठ पर स्वतंत्रता सेनानियों को नमन कर रहे हो. पूरा भारत २६/११ की याद में शहादत की नदी में डूब गया . महानगरो की बात तो छोड़ दीजिये .छोटे छोटे शहरों और गाँव कस्बो ने भी हमले में शहीद हुए लोगो को याद और नमन कर जता दिया की न भूले है  ना भूलेंगे, ऐ वतन तू मान है. अभिमान है. सम्मान है तू राम है तू. और तू ही मेरा प्रणाम है. वाकई २६/११ की ये शाम कभी भूली नहीं जा  सकती . जब गाँव में मोमबत्तियां लिए बच्चे और नौजवान भी इश्वर से दुआ कर रहे थे की हे भगवन हमें शक्ति दो इतनी की ऐसे आतंकवादी हमले कभी हमारे देश को तोड़ नहीं पाए. हर दुःख की घडी में हमारे स्वर एक हो और देश की खातिर मिटने का हमारे अन्दर हौसला पैदा हो सके. और हम अभिमान से कह सकते है की २६/११ को लेकर हमारे देश की मीडिया ने हौसला जज्बा दिखलाया है यह उसी का असर है. की पूरा देश एकता के सूत्र में बांध गया. मुंबई के साथ, दिल्ली कोल्कता,चेन्नई में मीडिया की इस पहल का असर को बड़ी बात नहीं. लेकिन बिहार के छोटे छोटे गाँव में शहादत को नमन करता ऐसा दृश्य देखकर आप भी यही कहेंगे की सचमुच हमारी मीडिया ने लोगो के जमीर को जगा दिया. बिहार की राजधानी पटना.से करीब ७० किलोमीटर दूर बाढ़ में नौजवानों ने आतंकी हमले की याद में candil मार्च किया . मोमबत्तीया जलाकर शहीदों को नमन किया और संकल्प लिया की मुंबई हमारी जान है. हम ऐसे हमलो से विचलित होने की वजय मजबूती से साथ खड़े होंगे , तो पंडारक गाँव में भी कुछ बुजुर्गो ने भी देस्भक्ति के जज्बे का ऐसा ही परिचय दिया और शहीदों के याद में प्रार्थना सभा आयोजित की,.
                               निश्चित रूप से देशभक्ति का यह रंग केवल भारत जैसे देश में ही देखा जन सकता है. जहाँ हम कुर्बानियों को सहेजकर भविष्य   की कहानिया गढ़ते है. जहाँ इतिहास को हम धरोहर की तरह सहेजते है. और जहाँ देश के लिए खून बहाना सबसे बड़ा सम्मान , पदक समझा जाता है. जरुरत बस इसी बात की है. की २६/११ की तरह ऐसे हर मोड़ पर हमारे देश की मीडिया हम देशवासियों को जगाने का कम करती रहे.

                                            धन्य वीरभूमि भारतवर्ष.
                                         

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