Saturday, December 12, 2009

बिच्छुओं का जिगरी दोस्त है दीपक

बिच्छुओं का जिगरी दोस्त है दीपक
सांप बिच्छुओं को देखकर ही आम आदमी के रोंगटे खड़े हो जाते है. लेकिन बाढ़ का ३१ साल का नौजवान दीपक जहरीले बिच्छुओं का सबसे बड़ा हमसफ़र होने का दावा करता है. दीपक बिच्छुओं के साथ ही अपना अधिकाँश समय बिताता है.२० साल की उम्र में दीपक को एक जहरीले बिच्छु ने काट खाया था.तभी से उसके दिमाग में बिच्चुओ को दोस्त बनाने की सनक सवार हो गयी. दस सालो के दौरान उसने करीब एक सौ से अधिक बिच्चुओ को पकड़कर पाल रहा है. अपने घर में शीशे के जार में वह इन बिच्छुओं को पालता है. आसपास के गाँव में कहीं भी बिच्छु की चर्चा हो दीपक उसे पकड़ने निकल जाता है. बिच्छुओं का वह इसकदर आदि हो चुअका है की घंटो वह उसे अपने जिस्म से चिपकाये घूमते रहता है. बिच्छु भी दीपक के शारीर से अठखेलियाँ करते रहते है. हलाकि कई बार जहरीले बिच्छुओ ने दीपक को कट भी लिया लेकिन उससे वेपरवाह दीपक

मीडिया ने लोगो को जोड़ दिया

मीडिया ने लोगो को जोड़ दिया
हम अपने देश की मीडिया खासतौर पर इलेक्ट्रोनिक मीडिया को लेकर कई तरह की बातें करते रहते हैं. बात कुछ हद तक सुच भी रही है. हाल के दिनों में कई ऐसे प्रकरण हुए जब मीडिया की भूमिका को लेकर सचमुच हम सुब सोंचने को मजबूर हो गए की आखिर हमरे देश की पत्रकारिता को हो क्या गया है. लेकिन मुंबई पर हुए हमले की पहली बरसी यानी २६/११ को लेकर हमारे देश की मीडिया जो जूनून, दुम्खुम और देशभक्ति की भावनाएं दिखाई .उससे हम देशवासियों को गर्व महसूस हो रहा है. २६/११ की याद में विशेषकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने अपने कवरेज के दायरे को इतना बढ़ा दिया की कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारा देश शहीदों की याद में उसी तरह नतमस्तक हो रहा था. जैसे हम अपनी आजादी की वर्षगांठ पर स्वतंत्रता सेनानियों को नमन कर रहे हो. पूरा भारत २६/११ की याद में शहादत की नदी में डूब गया . महानगरो की बात तो छोड़ दीजिये .छोटे छोटे शहरों और गाँव कस्बो ने भी हमले में शहीद हुए लोगो को याद और नमन कर जता दिया की न भूले है  ना भूलेंगे, ऐ वतन तू मान है. अभिमान है. सम्मान है तू राम है तू. और तू ही मेरा प्रणाम है. वाकई २६/११ की ये शाम कभी भूली नहीं जा  सकती . जब गाँव में मोमबत्तियां लिए बच्चे और नौजवान भी इश्वर से दुआ कर रहे थे की हे भगवन हमें शक्ति दो इतनी की ऐसे आतंकवादी हमले कभी हमारे देश को तोड़ नहीं पाए. हर दुःख की घडी में हमारे स्वर एक हो और देश की खातिर मिटने का हमारे अन्दर हौसला पैदा हो सके. और हम अभिमान से कह सकते है की २६/११ को लेकर हमारे देश की मीडिया ने हौसला जज्बा दिखलाया है यह उसी का असर है. की पूरा देश एकता के सूत्र में बांध गया. मुंबई के साथ, दिल्ली कोल्कता,चेन्नई में मीडिया की इस पहल का असर को बड़ी बात नहीं. लेकिन बिहार के छोटे छोटे गाँव में शहादत को नमन करता ऐसा दृश्य देखकर आप भी यही कहेंगे की सचमुच हमारी मीडिया ने लोगो के जमीर को जगा दिया. बिहार की राजधानी पटना.से करीब ७० किलोमीटर दूर बाढ़ में नौजवानों ने आतंकी हमले की याद में candil मार्च किया . मोमबत्तीया जलाकर शहीदों को नमन किया और संकल्प लिया की मुंबई हमारी जान है. हम ऐसे हमलो से विचलित होने की वजय मजबूती से साथ खड़े होंगे , तो पंडारक गाँव में भी कुछ बुजुर्गो ने भी देस्भक्ति के जज्बे का ऐसा ही परिचय दिया और शहीदों के याद में प्रार्थना सभा आयोजित की,.
                               निश्चित रूप से देशभक्ति का यह रंग केवल भारत जैसे देश में ही देखा जन सकता है. जहाँ हम कुर्बानियों को सहेजकर भविष्य   की कहानिया गढ़ते है. जहाँ इतिहास को हम धरोहर की तरह सहेजते है. और जहाँ देश के लिए खून बहाना सबसे बड़ा सम्मान , पदक समझा जाता है. जरुरत बस इसी बात की है. की २६/११ की तरह ऐसे हर मोड़ पर हमारे देश की मीडिया हम देशवासियों को जगाने का कम करती रहे.

                                            धन्य वीरभूमि भारतवर्ष.