Saturday, November 14, 2009

बिहार का गौरव है उमानाथ धाम




Barh. के उत्तरी छोर पर उत्तरवाहिनी भागीरथी गंगा नदी के तट पर विद्यमान बाबा उमानाथ मन्दिर अपने गर्भ में हजारो साल पुराना इतिहास छुपाये हुए है। इस जगह को बिहार का काशी भी कहा जाता है। मान्यता है की पवित्र नदी गंगा केवल चार जगहों पर ही उत्तरवाहिनी है। गंगोत्री,बनारस , उमानाथ (बिहार) और सुल्तानगंज। बिहार के लिए उमानाथ धाम गौरव का केन्द्र है। यहाँ शिव-पार्वती की प्राचीन मन्दिर है। इसे मन्नतों का मदिर भी कहा जाता है। उमानाथ धर्म स्थल की स्थापना से हजारो साल का इतिहास जुदा है। कथाओ के अनुसार , त्रेता युग में भगवान् श्री रामचंद्र जी अयोध्या से जनकपुर जाने के क्रम में सुरम्य गंगा तट के इस स्थल पर रूककर भगवान शिव की पूजा की थी। माना जाता है की तभी से इस स्थल पर शिव की स्तुति आरम्भ हो गई। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस के उत्तरकाण्ड में पृष्ठ संख्या ११५२ में इस धर्म स्थल का जिक्र किया है। ^ना यावत उमानाथ पदार्विन्दम भजंतीह परे वा नारानाम । न तावत्सुखं शान्ति संताप्नाषम । प्रसिद प्रभो स्वर्भुताधिचासाम .अंग्रेज इतिहासकारों ने भी उमानाथ की प्राचीनता का बखूबी जिक्र किया है। इतिहासकार डी एच नेक्सले ने लेसेज्सिच्युतेद ओन दबैंक ऑफ़ दीरिवेर्स इन इंडिया* किताब में, जबकि एच ओर्नाल्ड ने ^एनसी एंड तेम्प्लसे इन इंडिया* में उमानाथ को हजारो साल पुराना बताया है.सन १२७० में निर्मित सिद्धनाथ मन्दिर आज भी विद्यमान है। उमानाथ धाम में सालो भर श्रधालुओ का आना जाना लगा रहता है। सस्ती शादियों के लिए यह मशहूर है। प्रत्येक साल यहाँ हजारो शादिया होती है। माघी पूर्णिमाऔर कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर यहाँ विशाल मेला का आयोजन होता है.जिसमे कई राज्यों से लाखो लोग शामिल होते है। यहाँ लगने वाला भूतो का मेला विशेष महत्वपूर्ण है । भुत भागने क लिए यहाँ देश भर से लाखो लोग जुटते है। उमानाथ धाम पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार ने हाल ही में इस जगह को पर्यटन केन्द्र बनाने के करीब २ करोड़ की योजनाओ को स्वीकृति दे दी है। आनेवाले दिनों में उमानाथ धाम राज्य पर्यटन का प्रमुख केन्द्र साबित हो सकता है।